अपनी धुन मे रहता हूँ
मे भी तेरे जेसा हूँ
अो पिछली रुत के साथी
अब के बरस मे तनहा हूँ
तेरी गली मे सारा दिन
दुःख के कंकर चुनता हूँ
मुझसे आखे मिलाये कौन
मे तेरा खाली कमरा हूँ
तू जीवन की भरी गली
मैं जंगल का रास्ता हूँ
अपनी लहर मैं अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ
आती रुत मुझे रोएगी
जाती रुत का झोका हूँ
अपनी भाषा में देखो
Saturday 3 May 2008
अपनी धुन मे रहता हू
चाहत
तेरे लबों से है रंगत फोलों में
तेरी आंखों से है चमक सितारों में
तू जो मुस्कुराके देख ले आसमान को
चाँद भी शरमाके झुक जाए तेरे क़दमो में
दुनिया में लाखों हसीं हैं
तू एक हसीन है लाखों में
सो रहे थे जज्बात मेरे तेरे दीदार से पहले
तुझे देख कर जागी है मोहब्बत इस दिल में
जो तुम मिल गई अगर मुझ को आये सनम
रोनक हो जायेगी मेरी जिंदगानी में
मैंने तेरे प्यार में दिलको ज़ख्मी कर लिया है
अब तो चुपाले मुझको अपने आँचल की आड़ में
कुबूल कर मेरे प्यार को आये जाने -ऐ -फसीह
न मिलेगा मुझ जैसा आशिक सारी दुनिया में
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Sunday 23 March 2008
आई लव यू
मोहब्बत का मतलब इंतज़ार नही होता,
हर किसी को देखना प्यार नही होता,
यू तो मिलता है रोज़ मोहब्बत-ऐ-पैगाम,
प्यार है जिंदगी जो हर बार नही होता…….! !!
खामोश रात की पहलु में सितारे ना होते,
इन रूखी आंखों में रंगीन नज़ारे ना होते ,
हम भी न करते परवाह
अगर आप इतने प्यारे न होते……
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है…
उसे पाना नही मेरी तकदीर में शायद,
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है…
उस अजनबी का यौन न इंतज़ार करो
इस आशिक दिल का न ऐतबार करो
रोज़ निकला करें किसी के याद में आंसू
इतना कभी न किसी से प्यार करो
हर आहात एहसास हमारा दिलाएगी.,
हर हवा खुशबु हमारी लाएगी.;
हम दोस्ती ऐसी निभाएंगे यारा!
की हम न होंगे और हुम्हारी याद तुम्हे सताएगी..! !!
तम्मना-ऐ-इश्क तो हम भी रखते हैं,
किसी के दिल मे हम भी धड़कते हैं,
न जाने वह कब मिलेंगे
जिन के लिए हम रोज़ तड़पते हैं.
Wednesday 12 March 2008
पती और पत्नी
एक इस्त्री को वोट डालने नही दिया गया, तो वह अपने पती को लेकर चुनाव
अधिकारी के पास गई/ जांच-पड़ताल के बाद पता चला की उस इस्त्री का नाम
मरे हुए लोगो की सूची में हैं तो वह चीखी,"क्या? में जिन्दी खडी हू और.../"
इस पर पति ने डाटा "जबान क्यो लड़ा रही हो, क्या इतने बड़े आदमी झूट बोलेंगे "
पति चिलालाकर बोला, जल्दी आओ, तुम्हे वह इस्त्री दिखाऊ जिसके पीछे
मदन पागल हैं''
पत्नी ने ऊपर जाकर देखा और बोली,"कहा हैं वह?"
पति बोला,"वह सामने हरा साल ओढे खडा हैं"
पत्नी बोली,"वह तो उसकी पत्नी हैं"
पति बोला,"मेंने कब इंकार कीया हैं"